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मेरी माँ, दुनिया की सबसे सुंदर माँ
माँ , तुम सत्य हो,शिव हो ,सुंदर हो ,
जीवन का अभिप्राय हो. मधु सा मीठा माधुर्य हो.
याद नहीं पड़ता ,याद नहीं पड़ता ,माँ.
कब तुम्हारी उंगली पकड़कर हमने चलना सीखा .
कब कागज़ के पन्नों पर ‘क’ से ‘कमल’और ‘घ’ से सुंदर घरौंदे बने
कब केमिस्ट्री के इक्वेशन और ट्रायंगल, सर्किल, सिलिंडर बने.
मैं रोती तो तुम रोती,मैं हंसती तो तुम हंसती,
मेरे हर आंसू को पल्लू से पोछ मेरा मज़बूत सहारा बनती.
जीवन के हर मायने हमें तुम समझाती ,
पाँव को मंज़िलों के लिए बढ़ना तुम्ही तो सिखाती.
माँ तुम्हारे बने आलू के परौठे और गरमा-गरम
समोसे हमें आज भी याद आते हैं.
माँ तुझमें सरलता थी , ममता थी , निश्छलता थी .
जब तक तुम स्कूल से घर नहीं लौटती ,
हम घंटों बैठे रहते थे ,अपनी दोनों कुहनियों को टिकाये .
तुम्हारे बिगर घर अच्छानहीं लगता था.
तुम आ जाती तो तुम्हें देखने भर से ही नयन तृप्त हो जाते थे.
कभी मेरी कल्पनाओं की क्यारी में तुम शरीक़ होती
तो कई गुल – बूटे उग जाते ,खिल जाते रंग-बिरंगे.
और मेरे हसीं सपनों को पंख लग जाते
और फिर पूरे आसमां में उड़ते, जी भर-भर के .
कभी रातमें घबराकर नींद से उठ जाती तो
तुम मुझे फिर से निंदिया के आगोश में सुला देती .डर को भगा देती .
कितना बेफ़िकर और निश्चिन्त कर देती थी तुम, माँ.
माँ तुम्हारी गोद जन्नत का सुख थी
कई उतार चढ़ाव जिंदगी के तुमने भी देखे .
पापा का जल्दी चले जाना, वक़्त से पहले .
किन्तु अपने ग़म को छिपाकर
और मुस्कान को ओढ़कर
हमें ससम्मान जीना सिखाया .
माँ तुम्हारी शिक्षाएं आज हमें जीवन भर काम आती हैं
तुम कहती थी, न,माँ ‘देने में जो सुख है वह लेने में नहीं ‘
महसूस करती हूँ. अनुभव करती हूँ .
ईमानदारी व सच्चाई मेरी शक्ति है,
हाँ, मुश्किलें ज़रूरआती हैं.
पर ख़ुदा दोस्त बनकर आता है ,माँ, साथ निभाता है,
कहती थी तुम…
‘किसी का दिल कभी न दुखाना चाहे कोई कुछ भी करे’ ,
‘स्नेह रखना हरेक से,’
ये,तेरे संस्कार ,माँ आज मेरी धरोहर है .
माँ तुम शक्ति हो , खुशबू हो , नूर हो, ख़ुदा की सच्चाई हो.
माँ,तुम्हारा ऋण कई जन्म लेकर भी चुका नहीं सकते हम
माँ तुम ही सत्य हो ,तुम्ही शिव हो और तुम्ही सबसे सुंदर हो.
चेतना खन्ना (Chetna Gulati)
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